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गुरुवार, 2 जुलाई 2020

बाल श्रम की स्थिति पर प्रकाश डालिए

बाल श्रम की वैश्विक स्थिति

बाल श्रम में अनुमानित 152 मिलियन बच्चे कार्यरत हैं, जिनमें से 73 मिलियन बच्चे आजीविका के लिये खतरनाक उद्योगों में काम करते हैं।

बाल श्रम मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र (71%) में केंद्रित है - इसमें मछली पकड़ना, वानिकी, पशुधन पालन और जलीय कृषि शामिल है। सेवाओं में 17% और खनन सहित औद्योगिक क्षेत्र में 12% बाल श्रमिक संलग्न हैं। 

भारत में बाल श्रमिक

राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार, 5-14 वर्ष की आयु वर्ग की भारत में कुल जनसंख्या लगभग 260 मिलियन है। इनमें से कुल बाल आबादी का लगभग 10 मिलियन (लगभग 4%) बाल श्रमिक हैं जो मुख्य या सीमांत श्रमिकों के रूप में कार्य करते हैं।

15-18 वर्ष की आयु के लगभग 23 मिलियन बच्चे विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं।

WTO और भारत

विश्व व्यापार संगठन:
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO), विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 में मराकेश समझौते (Marrakesh Agreement) के तहत की गई थी।
इसका मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में है। वर्तमान में विश्व के 164 देश इसके सदस्य हैं।
29 जुलाई, 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना।
सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (Ministrial Conference) इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
भारत और WTO
भारत शुरू से ही अपनी मांगों को WTO की बैठकों में उठता रहा है। 2001 में भारत ने कहा था कि खेती की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विकासशील देशों के लिए WTO के समझौता तंत्र में एक खाद्य सुरक्षा बॉक्स बनाया जाने की वक़ालत की। साथ ही भारत ने ग़रीबी हटाने ग्रामीण विकास, ग्रामीण रोज़गार और कृषि के लिए खर्च की जाने वाली सब्सिडी को कम करने की शर्त से बाहर रखे जाने की बात कही।
2013 में हुई बाली बैठक में बाली में 10 सूत्रीय समझौता होना था। इन दस बिंदुओं में से एक बिंदु कृषि सब्सिडी से भी जुड़ा हुआ था। इसका अनाज़ की सरकारी खरीद, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून और खेती से जुड़े कारोबार पर सीधा असर पड़ता जिसकी वजह से भारत राज़ी नहीं हुआ।
आख़िर में वार्ता के विफल होने से बचाने के लिए अस्थायी समझौता हुआ। जिसमें तय हुआ कि अगले 4 साल में अलग से वार्ता करके मामले को सुलझाया जाए। इसी के साथ पीस क्लाज़ नाम से अस्थायी बिंदु भी जुड़ा गया। जिसमें तय हुआ कि जब तक स्थायी हल नहीं निकल रहा तब तक विकासशील देश 10% से ज़्यादा सब्सिडी देते रहे।
2015 में हुई बैठक में खाद्य सुरक्षा और कृषि के संरक्षण के लिए सब्सिडी को सीमित किए जाने के लिए समझते पर निर्णय होना था। लेकिन भारत सहित कई देश इसके पक्ष में नहीं थे। दरअसल विकसित देश चाहते हैं भारत किसानों से अनाज खरीदना बंद करे और रसन की दुकान की व्यवस्था हटाए। जबकि भारत ऐसा नहीं चाहता।
2017 में आयोजित बैठक में भारत ने कहा था कि भारत का उद्देश्य अपने हितों और प्राथमिकताओं की रक्षा करना है। इसके अलावा 2013 में हुआ बाली समझौता उसके हितों की रक्षा करता है।

शनिवार, 20 जून 2020

बाल श्रम की स्थिति पर प्रकाश डालिए

बाल श्रम की वैश्विक स्थिति

बाल श्रम में अनुमानित 152 मिलियन बच्चे कार्यरत हैं, जिनमें से 73 मिलियन बच्चे आजीविका के लिये खतरनाक उद्योगों में काम करते हैं।

बाल श्रम मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र (71%) में केंद्रित है - इसमें मछली पकड़ना, वानिकी, पशुधन पालन और जलीय कृषि शामिल है। सेवाओं में 17% और खनन सहित औद्योगिक क्षेत्र में 12% बाल श्रमिक संलग्न हैं। 

भारत में बाल श्रमिक

राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार, 5-14 वर्ष की आयु वर्ग की भारत में कुल जनसंख्या लगभग 260 मिलियन है। इनमें से कुल बाल आबादी का लगभग 10 मिलियन (लगभग 4%) बाल श्रमिक हैं जो मुख्य या सीमांत श्रमिकों के रूप में कार्य करते हैं।

15-18 वर्ष की आयु के लगभग 23 मिलियन बच्चे विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं।

शनिवार, 6 जून 2020

सुशासन By-Pintu Rawat(CI/CEO)

सामान्य अर्थों में सुशासन का तात्पर्य जनता के प्रति उत्तरदायी एक अच्छे शासन से है।व्यवहार में  इसका संबंध उन सभी प्रक्रियाओं से है; जिनके द्वारा  समाज में ऐसे वातावरण का निर्माण  किया जाता है जिसमें सभी व्यक्तियों को उनकी क्षमता के अनुरूप उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का मौका मिले।
योजना आयोग तथा विश्व बैंक जैसी संस्थाओं द्वारा सुशासन की विशेषताओं को स्पष्ट किया गया है। सुशासन की मुख्य विशेषताओं को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-
1) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और सत्ता का लोकतांत्रिक हस्तांतरण।
2) सरकारी संस्थाओं की जवाबदेहिता तथा पारदर्शिता।
3) सत्ता का विकेंद्रीकरण तथा प्रशासन में जनता की भागीदारी।
4) सामाजिक-आर्थिक सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता।
5) प्रशासन की मितव्ययता तथा कार्यकुशलता।
6) प्रशासन में नैतिकता।
7) विधि के शासन की स्थापना।
8) समाज के वंचित वर्गों के हितों का संवर्धन।
9) पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय विकास पर बल ।
By-pintu Rawat(CI/CEO)