भूमिक
खाद्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण क्षमताओं का निर्माण, मूल्य संवर्द्धन, खाद्यान अपव्यय में कमी के लिये प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाना तथा मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का आधुनिकीकरण एवं विस्तार करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ (Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana- PMKSY) प्रारंभ की है जिसके के तहत 32 नवीन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है इसलिए इसे “अम्ब्रेला योजना” भी कहते है
मुख्य बिंदु:
इन परियोजनाओं के तहत 17 राज्यों में लगभग 406 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
परियोजनाओं का उद्देश्य:
परियोजनाओं के तहत 15 हज़ार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गारों के सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि, कृषि उपज की शेल्फ-लाइफ (Shelf-Life) में वृद्धि के लिये आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों की शुरुआत, किसानों की आय में स्थिरता आदि की परिकल्पना की गई है।
योजना के प्रावधान:
PMKSY योजना को MoFPI मंत्रालय लागू कर रहा है जिसके कार्यान्वयन की अवधि वर्ष 2016-20 है तथा कुल परिव्यय राशि 6,000 करोड़ रुपए है।
इस योजना की सात घटक योजनाएँ हैं-
1. मेगा फूड पार्क
2. एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना
3. कृषि-प्रसंस्करण समूहों ( Agro-Processing Clusters) के लिये बुनियादी ढाँचा
4. बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का निर्माण
5. खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता का निर्माण / विस्तार
6. खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना
7. मानव संसाधन और संस्थान
खाद्यान प्रसंस्करण के सर्वागीण विकास में भूमिका
भारतीय किसानों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के उपभोक्ताओं से जोड़ने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों, सरकार एवं बेरोज़गार युवाओं के बीच कड़ी का कार्य कर भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर सकता है।
चीन के बाद भारत खाद्य पदार्थों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, साथ ही विशाल जनसंख्या तथा बढ़ती आर्थिक समृद्धि के कारण भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिये बड़ा बाज़ार उपलब्ध है।
सस्ते श्रम बल की उपस्थिति के कारण भी भारत में खाद्य प्रसंस्करण अपेक्षाकृत कम लागत पर किया जा सकता है। इससे वैश्विक व्यापार में भारत को लाभ प्राप्त हो सकता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के कार्यान्वयन से उत्पादों की आपूर्ति प्रबंधन को सुधारा जा सकता है और एक आधुनिक अवसंरचना का का विकास किया जा सकता है। यह देश में न केवल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये एक बेहतर प्रयास होगा बल्कि यह किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने मे भी सहायक होगा। साथ ही यह किसानों की आय को दुगुना करने की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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