मंगलवार, 30 जून 2020
प्रश्न- पर्यावरण और विकास पर विस्तार से चर्चा कीजिए ?(11/15)
फॉर्मेटिंग
भूमिका-पर्यावरण और विकास
|
पर्यावरण और विकास में संबंध सतत विकास के आधार पर
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पर्यावरण और विकास में असंतुलन के कारण
|
पर्यावरण और विकास के मध्य संतुलन के लिए सुझाव/प्रयास जैसे-EIA,NGT
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निष्कर्ष ------
Economics Mains Que.part-5 By Pintu Rawat(CI/CEO)
मार्कर
1.आर्थिक नियोजन
Economic Planning
2. योजना आयोग और नीति आयोग में अंतर
Difference between Planning Commission and NITI Aayog
3.अल्पकालिक नियोजन के उद्देश्य
Short-term planning objectives
4.प्रथम पंचवर्षीय योजना
First Five Year Plan
6 मार्कर
1.भारत में आर्थिक नियोजन की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए?
Discuss the need and importance of economic planning in India?
2.भारत में आर्थिक नियोजन की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए ?
Discuss the achievements of economic planning in India?
3. 12 वीं पंचवर्षीय योजना पर संक्षिप्त में टिप्पणी कीजिए ?
Comment briefly on the 12th Five Year Plan?
सोमवार, 29 जून 2020
Economics Mains Que Part-4 By Pintu Rawat(CI/CEO)"
3 मार्कर
1. PQLI
2.आर्थिक विकास के प्रमुख घटक
Key components of economic development
3.आर्थिक विकास दर
Economic growth rate
4.HDI
11/15 मार्कर
समावेशी विकास क्या है वर्तमान में भारत समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कहाँ तक सफल है ?
What is inclusive development, how far India is currently successful in achieving the goals of inclusive development?
रविवार, 28 जून 2020
Economics Mains Que. Part-3 By Pintu Rawat(CI/CEO)
.........3 मार्कर........
1.बेरोजगारी दर
unemployment rate
2.अर्द्ध बेरोजगारी
Semi Unemployment
3.संरचनात्मक बेरोजगारी
Structural unemployment
4.श्रम शक्ति
Labor power
...... 6 मार्कर .......
1.वर्तमान बेरोजगारी की स्थिति को बताते इसके प्रमुख कारणों पर चर्चा कीजिए ?
Discuss the main reasons for the current unemployment situation?
2.क्या मनरेगा ग्रामीण बेरोजगारी दर को कम करने में सहायक है अपने विचार प्रस्तुत कीजिए ?
Does MNREGA help in reducing the rural unemployment rate?
3.शहरी बेरोजगारी पर संक्षिप्त में टिप्पणी कीजिए ?
Comment briefly on urban unemployment?
शनिवार, 27 जून 2020
Economics Mains Que Part-2 By Pintu Rawat(CI/CEO)
3 मार्कर
1.गरीबी का दुश्चक्र
The vicious cycle of poverty
2.नितांत गरीबी
Extreme poverty
3.भारत में गरीबी की वर्तमान स्थिति
Current status of poverty in India
4.गिनी गुणांक
Gini coefficient
5/6 मार्कर
1.ग़रीबी क्या है और ग़रीबी के प्रकारों को समझाइए ?
What is poverty and explain the types of poverty?
2.ग़रीबी के दुष्परिणामो पर चर्चा कीजिए ?
Discuss the ill effects of poverty?
3.गरीबी निवारण हेतु सरकारी प्रयासों पर चर्चा कीजिए ?
Discuss government efforts to curb poverty?
शुक्रवार, 26 जून 2020
Economics mains Que Part -1 By-Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.व्यष्टि अर्थशास्त्र क्या है
What is micro economics
2.बंद अर्थव्यवस्था और खुली अर्थव्यवस्था
Closed economy and open economy
3.भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति
Current state of Indian economy
4.प्राथमिक क्षेत्र
Primary Sector
5.आर्थिक विकास
Economic Development
6 मार्कर
1.निवेश पर संक्षिप्त में टिप्पणी कीजिए ?
Comment briefly on investment ?
2.विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्था में अंतर लिखिए ?
What is the difference between a developed and a developing economy ?
(https://youtu.be/tFRygeRdIlc
World war-2 मित्र राष्ट्रों की 75 वीं वर्षगांठ*)
बुधवार, 24 जून 2020
Today's mppsc mains 3 markar By-Pintu Rawat (CI/CEO)
'स्विफ्ट'
- SWIFT का तात्पर्य 'सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस' (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) है।
- यह एक तरह का मैसेज भेजने और प्राप्त करने वाला नेटवर्क है, जिसका इस्तेमाल दुनिया भर के बैंक और फाइनेंशियल सेवाएँ देने वाली दूसरी संस्थाएँ करती हैं।
- इस नेटवर्क के माध्यम से पेमेंट बहुत जल्दी हो जाता है। हर बैंक को उसका एक स्विफ्ट कोड मिलता है, जिससे उसकी पहचान होती है।
बिटकॉइन
- बिटकॉइन एक डिजिटल करेंसी है जिसका लेन-देन बैंक के द्वारा नहीं होता। बिटकॉइन किसी देश या सरकार की नहीं होती और किसी कानून के दायरे में नहीं आती है बिटकॉइन को पैसे देकर भी खरीदा जा सकता है। बिटकॉइन की लेन-देन प्रक्रिया दो लोगों तथा एक सिस्टम (बिटकॉइन क्लांइट) के बीच होती है। बिटकॉइन क्लांइट वर्ल्ड वाइड वेब पर मौजूद होता है।
- भारत में ई-करेंसी खरीदना और संग्रहीत करना रिज़र्व बैंक के विनियामक कानून के दायरे में आते हैं परंतु बिटकॉइन नहीं।
योनो कैश
- भारतीय स्टेट बैंक ने देश भर में 16,500 से अधिक एसबीआई एटीएम से कैशलेस निकासी के लिये 'योनो कैश' (YONO Cash) एप लॉन्च किया।
- योनो कैश’ एप उपयोगकर्त्ताओं को डेबिट कार्ड के बिना नकदी निकालने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसका उद्देश्य YONO कैश एप के माध्यम से अगले दो वर्षों में पूरे लेनदेन तंत्र को एक मंच के तहत एकीकृत करना है।
पिंक टैक्स
- पिंक टैक्स महिलाओं द्वारा चुकाई जाने वाली एक इनविज़िबल कॉस्ट (अदृश्य लागत) है। यह राशि उन्हें उन उत्पादों के लिये चुकानी पड़ती है जो विशेष तौर पर उनके लिये डिज़ाइन किये जाते हैं।
- न्यूयॉर्क में किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि महिलाओं के लिये बने उत्पादों की लागत पुरुषों के लिये बनाए गए समान उत्पादों की तुलना में 7% अधिक होती है।
- व्यक्तिगत देखभाल संबंधी उत्पादों (Personal Care Products) के मामले में यह अंतर 13% तक बढ़ जाता है।
जीआई टैग
- भौगोलिक संकेतक का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
- इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।
- इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
- वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
- भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।
- जीआई टैग प्राप्त कुछ उत्पाद इस प्रकार हैं- कांचीपुरम सिल्क साड़ी, अल्फांसो मैंगो, नागपुर का ऑरेंज, कोल्हापुरी चप्पल, बीकानेरी भुजिया, इत्यादि
- हाल ही में कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ ज़िले की ‘सिरसी सुपारी’ को जीआई टैग प्रदान किया गया है।
विश्व धरोहर स्थल
- मुंबई की विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया है. शनिवार को बहरीन के मनामा में आयोजित यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के 42वें सत्र में यह फ़ैसला किया गया.
- एलिफेंटा गुफ़ाएं और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के बाद यह मुबंई की ऐसी तीसरी साइट है जिसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.
- यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स में शामिल होने वाली यह 37वीं भारतीय साइट है।
- विश्व धरोहरों की संख्या के मामले में भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा एशिया-पैसिफिक देश बन गया है. वहीं दुनिया भर में इसका छठा स्थान है।
Today's mppsc mains 2019 & 20 Que.By-Pintu Rawat(CI/CEO)
3 मार्कर
1.सुश्रुत
2.आर्यभट्ट
3.अजय भटकल
4.C.N.R राव
6 मार्कर
1.जे.सी.बोस
2.हरिगोविंद खुराना
3.एस. चंद्रशेखर
11/15 मार्कर
1.अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान पर प्रकाश डालिए?
Highlight the contribution of Indian scientists in the field of space?
मंगलवार, 23 जून 2020
Today's mppsc mains 2019 & 20 Que.By-PintuRawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.सूचना और संचार में अंतर Difference in information and communication
2.संचार के प्रकार
Types of communication
3.ऑप्टिकल फाइबर
Optical Fiber
4.डिजिटल डिवाइस
Digital device
6 मार्कर
1.WI-FI और LI-FI में अंतर लिखिए।
Write the difference between WI-FI and LI-FI.
2.आर्थिक समावेशन में सूचना एवं संचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
Highlight the role of information and communication in economic inclusion.
11/15 मार्कर
1.ई-प्रशासन को मूर्तरूप प्रदान करने में सूचना एवं संचार तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डालिए?
Highlight the role of information and communication technology in providing e-governance.?
रविवार, 21 जून 2020
Todays mppsc mains 2019&20 Que.By-Pintu Rawat(CI/CEO)
3 मार्कर
1.3R concept
2.चिकित्सक अपशिष्ट
Medical waste
3.तरल अपशिष्ट
Liquid Waste
4.भारत में प्लास्टिक की स्थिति
Status of plastic waste in india
5/6 मार्कर
1.भारत में बढ़ता हुआ अपशिष्ट सतत विकास के समक्ष एक गंभीर समस्या है ? Is increasing waste in India a serious problem facing sustainable development?
2.E-अपशिष्ट पर टिप्पणी कीजिए ?
Comment on E-waste ?
11/15 मार्कर
ठोस अपशिष्ट पर विस्तार से चर्चा कीजिए?
Discuss solid waste in detail?
सूर्य ग्रहण(Solar Eclipse)By-Pintu Rawat(CI/CEO)
ग्रहण का अर्थ
ग्रहण एक प्रकार की महत्त्वपूर्ण खगोलीय घटना है, यह मुख्यतः तब घटित होती है जब एक खगोल-काय जैसे चंद्रमा अथवा ग्रह किसी अन्य खगोल-काय की छाया के बीच में आ जाता है।
पृथ्वी पर मुख्यतः दो प्रकार के ग्रहण होते हैं-
पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)
दूसरा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse)
सूर्य ग्रहण का अर्थ
- चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा में घूमता है और उसी समय पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। इस परिक्रमा के दौरान कभी-कभी चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है। खगोलशास्त्र में इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता और पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्से पर दिन में अँधेरा छा जाता है।
- सूर्य ग्रहण तभी होता है जब चंद्रमा अमावस्या को पृथ्वी के कक्षीय समतल के निकट होता है।
- चंद्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा की रात को होता है, जबकि सूर्य ग्रहण अमावस्या की रात को होता है।
सूर्य ग्रहण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-
1.आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse), 2.वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse)
3.पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse)
सूर्य ग्रहण का महत्त्व
- सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) सूर्य (Sun) की शीर्ष परत अर्थात कोरोना का अध्ययन करने हेतु काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं
- इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं को समझना काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये पृथ्वी समेत सौर प्रणाली के शेष सभी हिस्सों को प्रभावित करते हैं।
- सदियों पूर्व ग्रहण के दौरान चंद्रमा का अध्ययन कर वैज्ञानिकों ने यह पाया था कि पृथ्वी का आकार गोल है।
- वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रमा की सतह का विस्तार से अध्ययन करने के लिये ग्रहण का उपयोग किया जा रहा है।
शनिवार, 20 जून 2020
पृथ्वी ओवरशूट दिवस (Earth Overshoot Day - EOD) क्या है?
पृथ्वी ओवरशूट दिवस (Earth Overshoot Day - EOD) क्या है?
ध्यातव्य है कि प्रत्येक वर्ष जब संसार प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के संदर्भ में पर्यावरणीय दृष्टि से ऋणात्मक स्थिति में आ जाता है, तब ‘पृथ्वी ओवरशूट दिवस’ मनाया जाता है|
इसका संदर्भ इस बात से है कि पर्यावरणीय दृष्टि से एवं प्राकृतिक संसाधनों की पहुँच की दृष्टि से जितनी मात्रा में मानव को इनका इस्तेमाल करना चाहिये, वस्तुतः मनुष्य उस सीमा को प्राप्त कर चुका है|
इसके बाद हम जितनी मात्रा में इन संसाधनों का उपभोग करेंगे, उतना हमारे भविष्य के लिये निर्धारित वार्षिक कोटे से अतिरिक्त का उपभोग होगा|
ध्यातव्य है कि इस वर्ष पृथ्वी ओवरशूट दिवस 22 अगस्त 2020 को मनाया जाएगा |
बाल श्रम की स्थिति पर प्रकाश डालिए
बाल श्रम की वैश्विक स्थिति
बाल श्रम में अनुमानित 152 मिलियन बच्चे कार्यरत हैं, जिनमें से 73 मिलियन बच्चे आजीविका के लिये खतरनाक उद्योगों में काम करते हैं।
बाल श्रम मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र (71%) में केंद्रित है - इसमें मछली पकड़ना, वानिकी, पशुधन पालन और जलीय कृषि शामिल है। सेवाओं में 17% और खनन सहित औद्योगिक क्षेत्र में 12% बाल श्रमिक संलग्न हैं।
भारत में बाल श्रमिक
राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार, 5-14 वर्ष की आयु वर्ग की भारत में कुल जनसंख्या लगभग 260 मिलियन है। इनमें से कुल बाल आबादी का लगभग 10 मिलियन (लगभग 4%) बाल श्रमिक हैं जो मुख्य या सीमांत श्रमिकों के रूप में कार्य करते हैं।
15-18 वर्ष की आयु के लगभग 23 मिलियन बच्चे विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं।
Today's Mppsc mains 2019&20 Que.By-Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.हॉट स्पॉट और होप स्पॉट
Hot Spot and Hope Spot
2.जैव विविधता
Biological diversity
3.अर्थ ओवर शूट डे
Earth over shoot day
4.पर्यावरण अवनयन
Environmental degradation
6 मार्कर
1.पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 पर टिप्पणी कीजिए?Comment on Environment Protection Act 1986?
2.जलवायु परिवर्तन और विकास
Climate Change and Development
3.NGT
15 मार्कर
इकोलॉजिकल फुटप्रिंट पर विस्तार से चर्चा कीजिए ?
Discuss ecological footprint in detail.?
शुक्रवार, 19 जून 2020
Today's mppsc mains 2019& 20 Que.By-Pintu Rawat(CI/CEO)
3 मार्कर
1.शैल गैस Shell Gas
2.ऊर्जा दक्षता ब्यूरो
Energy Efficiency Bureau
3.बायोमास Biomass
4.गैर परम्परागत ऊर्जा के स्त्रोत
Sources of non-conventional energy.
15 मार्कर
1.नवीनीकरण ऊर्जा क्या है भारत में नवीनीकरण ऊर्जा की स्थिति ,वितरण और तकनीकी को विस्तार से समझाइये ?
What is Renewable Energy Explain in detail the status, distribution and technology of renewable energy in India ?
गुरुवार, 18 जून 2020
ठोस अपशिष्ट By-Pintu Rawat (CI/CEO)
ठोस अपशिष्ट क्या हैं?
• कचरे के ढेर आज एक आम बात बन गई है, जो पर्यावरण, नदी, तलाब और कुँओं तथा झीलों को प्रदूषित करता जा रहा है।
• ठोस कचरा आवासीय, औद्योगिक या वाणिज्यिक क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न अवांछित या बेकार ठोस सामग्री है। इसे तीन रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है मूल आधार (घरेलू, औद्योगिक, वाणिज्यिक तथा निर्माण या संस्थागत), सामग्री (जैविक, कांच, धातु, प्लास्टिक व पेपर आदि), खतरनाक कारक (विषाक्त, गैर विषैले, ज्वलनशील, रेडियोधर्मी तथा संक्रामक) इत्यादि।
अपशिष्ट के अन्य प्रकार
• तरल अपशिष्ट- घरेलू और उद्योग स्थलों द्वारा उत्पन्न तरल अपशिष्ट।
• कार्बनिक अपशिष्ट- खाद्य, उद्यान और लॉन की कटाई-छटाई से निकलने वाले पदार्थ।
• जैव चिकित्सा अपशिष्ट- मनुष्यों या जानवरों के निदान, उपचार या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट।
• पुनर्नवीनीकरण अपशिष्ट- उन सभी अपशिष्ट वस्तुओं का समावेश, जिन्हें पुनः उपयोग में लाने के लिए परिवर्तित किया जाता है।
अपशिष्ट प्रबंधन का वर्तमान स्वरूप
• स्वच्छ भराव क्षेत्र
• महासागर डंपिंग
• भस्मीकरण
• खाद
• अपशिष्टों का पृथक्करण, पुनर्नवीनीकरण और पुनः प्राप्ति
• अपशिष्टों का मैकेनिकल और जैविक उपचार
डब्ल्यूटीई संयंत्रों की जरूरत क्यों
• देश भर में प्रतिदिन लगभग 1.43 लाख टन नगरपालिका का ठोस कचरा उत्पन्न होता है, जिसे निपटाने की विशेष जरूरत है।
• केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत में 25,940 टन प्रतिदिन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है।
• केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रलय के अनुसार, वर्ष 2031 तक 4.5 लाख टन प्रतिदिन कचरे का उत्पादन होगा, जो 2050 तक 11.9 लाख टन प्रतिदिन तक यह पहुँच जाएगा।
• भारत में नगरपालिका के ठोस कचरे में कम कैलोरी और उच्च नमी की मात्र पाई जाती है।
• अधिकांश अपशिष्टों में अत्यंत निष्क्रिय पदार्थ मौजूद होते हैं, जो संयंत्र में अपशिष्ट को पृथक करने के लिये उपयुत्तफ़ नहीं हैं।
• नीति आयोग का प्रयास है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत डब्ल्यूटीई संयंत्रों से 800 मेगावाट तक की बिजली उत्पन्न की जा सके।
अपशिष्ट प्रबंधन में भारत की स्थिति
हमारे गाँवों व शहरों में जगह-जगह लगे कचरे के ढेर और उनमें पनपते रोग आज गंभीर खतरा बन चुके हैं। पशु-पक्षियों की मृत्यु भी आज कचरा खाने के साथ ही कचरे में उत्पन्न विषैली गैसों, और कीटाणुओं से हो रही है। ऐसे में आज कचरे का प्रबंधन उचित तकनीक के माध्यम से होना समय की मांग है।
• 1987 के बाद से, देश भर में 15 डब्ल्यूटीई संयंत्र स्थापित किए गए हैं, लेकिन इनमें से सात संयंत्र बंद हो गए हैं। बंद संयंत्रों में दिल्ली के अलावा, कानपुर, बंगलुरू, हैदराबाद, लखनऊ, विजयवाड़ा और करीमनगर के संयंत्र शामिल हैं।
• विश्लेषकों के अनुसार भारत में लगभग 32 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न होता है और इसका 60% से भी कम इकट्ठा किया जाता है और केवल 15% ही संसाधित होता है।
• भारत में अपशिष्ट प्रबंधन की बढ़ती समस्याओं के कारण ग्रीनहाउस गैस का बढ़ता प्रभाव तथा लैंडफिल के साथ भारत ऐसे मामलों में तीसरे स्थान पर है।
• भारत सरकार ने इन समस्याओं को देखते हुए 16 साल के बाद सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट को संशोधित किया है जिसके अंतर्गत एक संस्थागत ढाँचे का प्रावधान किया गया है।
अपशिष्ट संग्रह और प्रबंधन के विधि
• डोर-टू-डोर संग्रह
• सूखे तथा गीले कचरे का अलग संग्रह करना
• कचरे को भूमिगत डम्पिंग करना
• अपशिष्ट कचरे के प्रबंधन को लेकर प्रत्येक क्षेत्र में नई-नई तकनीकों के माध्यम से उचित प्रबंधन के प्रयास भी किये जा रहे हैं साथ ही हम वेस्ट टू वेल्थ यानी ‘कचरे से सम्पन्न’ की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
पुनर्चक्रण विधि के अन्य तरीके
• भौतिक पुनः परिष्करण- पुनर्चक्रण का लोकप्रिय अर्थ व्यापक संग्रह और रोजाना अपशिष्ट पदार्थों का पुनः प्रयोग को संदर्भित करता है जैसे कि खाली पेय पात्र, अखबार और कांच की बोतले आदि सभी वस्तुओं को इकट्ठा कर इनका पुनर्चक्रण किया जाता है।
• ऊर्जा के रूप में ठोस अपशिष्ट- ओखला, दिल्ली थर्मल ट्रीटमेंट में एनर्जी प्लांट के ठोस अपशिष्ट से ऊर्जा प्राप्त की जाती है तथा अपशिष्ट को कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प और राख में बदल दिया जाता है। यह कचरे से ऊर्जा को पुनर्प्राप्त करने का एक साधन है।
• जैविक उपचार विधियाँ- इसमें कचरे के जैव निम्नीकरणीय घटकों को विघटित करने के लिये सूक्ष्म जीवों का उपयोग किया जाता है, इसमें दो प्रकार की प्रक्रियाएँ होती हैं-
• एरोबिक यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, इसमें विंड्रो कम्पोस्टिंग तथा इन पॉट कम्पोस्टिंग तथा वर्मी कल्चर शामिल हैं।
• एनारोबिक-ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है इसमें लैंडफिल तथा ओपन डम्पिंग शामिल है।
• जिम्मेदारी और हितधारक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट- यह राज्य का विषय है कि राज्य यह सुनिश्चित करें कि उसके सभी शहरों और कस्बों में उपयुक्त ठोस कचरा प्रबंधन सुविधा/तकनीक है की नहीं। हालाँकि ठोस कचरा प्रबंधन करना नगरपालिका का कर्त्तव्य है। जो इसके लिए सीधे जिम्मेदार है, इसके द्वारा संबंधित शहरों/कस्बों में ठोस कचरा प्रबंधन की योजना डिजाइन, संचालन ओर रख-रखाव किया जाता है। नगरपालिका के बजट का 10% से 50% ठोस कचरा प्रबंधन के लिए आवंटित किया गया है।
• ठोस कचरा प्रबंधन से जुड़े नियम और कानूनः 74वें संवैधानिक संशोधन के तहत, नगरपालिका सॉलिड वेस्ट के निपटान और प्रबंधन नगर निगमों और नगर पंचायतों के 18 कार्यात्मक डोमेन में से एक है। ठोस प्रबंधन के लिए कानून-जैव चिकित्सा अपशिष्ट नियम 1998, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट नियम 2000, प्लास्टिक अपशिष्ट नियम 2011 तथा ई-अपशिष्ट नियम 2011 हैं।
• रैगपिकर्स/मैनुअल स्कैवेंजिंग वेस्ट मैनेजमेंट- इनके माध्यम से ही अनेक स्थानों पर कचरा इकट्ठा किया जाता है और साथ ही अनौपचारिक क्षेत्र का बड़ा नेटवर्क भी स्थानीय स्तर पर कचरे के प्रबंधन में प्रभावी रूप से सहायक होता है। भारत में रैगपिकर्स की एक राष्ट्रीय संस्था एनएसडब्ल्युएआई (NSWAI- National Solid waste association of India) है। यह इंटरनेशनल सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन से भी जुड़ी है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट क्षेत्र में सूचना और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान का एक मंच है जिसके द्वारा लोगों में जागरूकता फैलायी जाती है।
वैज्ञानिक विधि से अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन
• 3-आर (3-R) की अवधारणा- 3-आर अर्थात रीयूज, रीड्यूस और रीसायकल। यह ठोस प्रबंधन का महत्वपूर्ण तरीका है।
• शून्य अपशिष्ट प्रणाली- उद्योगों द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन के कार्य को सरल बनाकर और अपने अपशिष्ट प्रबंधन को केन्द्रीकृत करके, इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
अपशिष्ट प्रबंधन के लाभ
प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षाः वनों, गैसों और पानी जैसे कई प्राकृतिक संसाधनों की घटती समस्या हमारे लिए गम्भीर चिन्ता का विषय बन गई है। इसलिए आवश्यक है कि प्लास्टिक आदि की बनी वस्तुओं के पुनः उपयोग से हम वनों की कटाई इत्यादि को रोक सकते हैं।
ऊर्जा क्षमता में बढ़ोत्तरीः पुनरावृत्ति ऊर्जा का उत्पादन करने का एक शानदार तरीका है। नई वस्तुओं का उत्पादन करने हेतु अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्रयोगों से यह पता चला है कि हमारे घरों के अपशिष्ट पदार्थों को एक विशेष प्रणाली के द्वारा बिजली उत्पन्न में प्रयोग किया जा सकता है।
प्रदूषण में कमीः खुले में कचरा इकट्ठा करना या फिर भूमिगत डम्पिंग से जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। यदि अपशिष्ट प्रबंधन वैज्ञानिक विधि से किया जाए तो प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है।
अपशिष्ट पुनरावृत्तिः अपशिष्ट दिन-प्रतिदिन गम्भीर समस्या बनते जा रहे हैं, जैसे-अपशिष्टों का समुद्र में प्रवाह तथा कचरे को नदियों या खुले क्षेत्रों में फैंकना आदि, लेकिन अपशिष्टों को उपयोगी रूप में पुनः परिवर्तित कर इस समस्या को कम किया जा सकता है।
अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियाँ
• भारतीय परिदृश्य के तहत, आम व्यक्ति के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का दृष्टिकोण वैज्ञानिक नहीं है। साथ ही भारत में पहले से मौजूद तकनीक तथा विधियों पर ही पुराने ढर्रे से काम हो रहा है, अभी तक भी नई-नई तकनीकों, कानूनों तथा लोगों में जागरूकता को उस स्तर पर नहीं लाया जा सका है जिसकी वर्तमान समय में आवश्यकता है।
• अपशिष्ट संयंत्रों की अक्षमता या बंद होने का मूल कारण अपशिष्ट की गुणवत्ता और उसकी संरचना है।
• अपशिष्ट पदार्थों को जलाने के लिए अतिरित्तफ़ ईंधन की आवश्यकता होती है, जो इन संयंत्रों को चलाने के लिए महँगा साबित होता है।
• इसके अलावा इन कारखानों से उत्पादित विद्युत की दर लगभग 7 रुपए प्रति यूनिट है जो कि थर्मल एवं सौर स्रोतों से प्राप्त 3-5 रुपए प्रति यूनिट की अपेक्षा काफी महँगी है।
• नीति आयोग ने अपने स्वच्छ भारत मिशन के हिस्से के रूप में 2018-19 में स्थापित डब्ल्यूटीई संयंत्रों से 800 मेगावाट ऊर्जा प्राप्ति की परिकल्पना की है, जो सभी मौजूदा डब्ल्यूटीई संयंत्रों की क्षमता से 10 गुना अधिक है।
Today's mppsc mains 2019&2020 Que.By-Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.कॉपीराइट
Copyright
2.भौगोलिक संकेत
Geographical Indication
3.WIPO
4.बौद्धिक सम्पदा अधिकार
Intellectual Property Rights
6 मार्कर
1.पेटेंट और भारत ।
Patent and India.
2.TRIMS पर टिप्पणी कीजिए ?
Comment on TRIMS?
बुधवार, 17 जून 2020
Today's Mppsc mains 2019 & 2020 Que. By-Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.स्वदेशी तकनीक
Indigenous technology
2.तकनीकी हस्तांतरण के उद्देश्य
Technical transfer
6 मार्कर
क्या तकनीकी हस्तांतरण, स्वदेशी तकनीकि के विकास विकास में बाधक है ?
Does technical transfer impede development of indigenous technology?
15 मार्कर
स्वदेशी तकनीकी भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक है ?
How is indigenous technology helpful in social and economic development of India?
रविवार, 14 जून 2020
Today's mppsc mains 2019 & 20 Que.By-Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.जन्मजात रोग Congenital Disease
2.कोरोना. Corona
3.ब्लू बेबी सिंड्रोम.
Blue Baby Syndrome
4.स्वाइन फ्लू और वर्ड फ्लू
Swine Flu and Word Flu
6 मार्कर
1.संक्रामक बीमारियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए ?
Make brief remarks on communicable diseases?
2.कैंसर रोग पर टिप्पणी कीजिए ?
Comment on cancer disease?
शुक्रवार, 12 जून 2020
today's mppsc mains 2019&20 Que.By-Pintu Rawat (CI/CEO)
3 markar
1.पोषण Nutrition
2.सेल्युलोज Cellulose
3.विटामिन Vitamin
4.तेल और वसा में अंतर
Difference in oil and fat
6 मार्कर
1.प्रोटीन पर टिप्पणी कीजिए ?
Comment on protein?
2.कार्बोहाइड्रेट के कार्य लिखिए?
Write the functions of carbohydrates?
गुरुवार, 11 जून 2020
Today's mppsc mains 2019&20 Que.By -Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1. पिनियल ग्रंथि
Pineal gland
2. 3F-हॉर्मोन
3F-hormone
3.बाहय स्रावी ग्रन्थि
External secretory glands
4.हार्मोन और एंजाइम में अंतर
Difference between hormone and enzyme
6 मार्कर
1.अन्तः स्रावी क्या है और यह जैविक क्रियाओं के नियंत्रण में किस प्रकार सहायक में किस प्रकार सहायक है स्पष्ट कीजिए ?
Explain what is endocrine gland and how it is helpful in the control of biological functions.
2.जनन ग्रंथियों पर संक्षिप्त में टिप्पणी कीजिए?
Comment briefly on the Reproductive glands
बुधवार, 10 जून 2020
Today's mppsc main 2019&20 Que.By -PintuRawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.अस्थिमज्जा Bonemarrow
2.मानव कंकाल के प्रकार
Types of human skeletons
3.अक्षीय कंकाल axial skeleton
4.कंकाल संबंधित विकार
Skeletal disorders
6 मार्कर
1.अस्थि और उपास्थि में अंतर
Difference in bone and cartilage
2.कंकाल तंत्र की उपयोगिता लिखिए ?
Write the utility of the skeletal system
मंगलवार, 9 जून 2020
Today's mppsc mains 2019& 2020Que by Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.संवेदी कोशिका (Sensory Cell)
2.हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)
3.सेरिबेलम (cerebellum)
4.EEG
6 मार्कर
1.अनुकंपी तंत्र और परानुकंपी तंत्र में अंतर लिखिए
Write the difference between the Sympathetic nervous system and theparasympathetic system.
2.केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर टिप्पणी कीजिए?
Comment on the central nervous system?
सोमवार, 8 जून 2020
Today's Mppsc mains 2019 & 20 By-Pintu Rawat(Mppsc selected)
3 मार्कर
1.श्वसन (Respiration )
2.न्यूमोनिया,(Numonia)
3.निश्वसन (Inspiration)और नि:श्वसन
(Expiration)
6 मार्कर
1.ऑक्सिश्वसन और अनऑक्सिश्वसन में अंतर
Difference between in oxygenation and unoxygenation.
2.आंतरिक श्वसन और बाह्य श्वसन में अंतर
Difference in Internal Respiratory and External Respiration.
रविवार, 7 जून 2020
Today's mppsc mains 2019 & 2020que By-Pintu Rawat(CI/CEO)
3 मार्कर
1.उत्सर्जन (Excretory)
2.नेफ्रॉन. (Nephron)
3.पत्थरी. (Stone)
4.वृक्क (kidney)
6 मार्कर
1.जैविक क्रियाओं के समन्वय में उत्सर्जन का क्या महत्व है ?
What is the importance of Excretory in coordination of biological functions?
2.उत्सर्जन सम्बंधी विकारों पर टिप्पणी कीजिए ?
Comment on Excretory related disorders?
शनिवार, 6 जून 2020
जीनोम अनुक्रमण(Genome Sequencing)
जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) के तहत DNA के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
इसके अंतर्गत DNA में मौज़ूद चारों तत्त्वों- एडानीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C) और थायामीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है।
DNA अनुक्रमण विधि से लोगों की बीमारियों का पता लगाकर उनका समय पर इलाज करना और साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोगमुक्त करना संभव है।
By-Pintu Rawat (CI/CEO)
सुशासन By-Pintu Rawat(CI/CEO)
सामान्य अर्थों में सुशासन का तात्पर्य जनता के प्रति उत्तरदायी एक अच्छे शासन से है।व्यवहार में इसका संबंध उन सभी प्रक्रियाओं से है; जिनके द्वारा समाज में ऐसे वातावरण का निर्माण किया जाता है जिसमें सभी व्यक्तियों को उनकी क्षमता के अनुरूप उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का मौका मिले।
योजना आयोग तथा विश्व बैंक जैसी संस्थाओं द्वारा सुशासन की विशेषताओं को स्पष्ट किया गया है। सुशासन की मुख्य विशेषताओं को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-
1) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और सत्ता का लोकतांत्रिक हस्तांतरण।
2) सरकारी संस्थाओं की जवाबदेहिता तथा पारदर्शिता।
3) सत्ता का विकेंद्रीकरण तथा प्रशासन में जनता की भागीदारी।
4) सामाजिक-आर्थिक सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता।
5) प्रशासन की मितव्ययता तथा कार्यकुशलता।
6) प्रशासन में नैतिकता।
7) विधि के शासन की स्थापना।
8) समाज के वंचित वर्गों के हितों का संवर्धन।
9) पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय विकास पर बल ।
By-pintu Rawat(CI/CEO)
जैव विविधता के संदर्भ में भारत की स्थिति
- भारत में भूमि क्षेत्र की तुलना में मानव एवं मवेशियों की आबादी ज्यादा होने के बावजूद यहाँ 8% जैव विविधता मौजूद है।
- विश्व के 35 जैव-विविधता वाले हॉटस्पॉटों में से 4 हॉटस्पॉट भारत में स्थित हैं जिसमें कई स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
today's Que.by Pintu Rawat (CI/CEO)
3 मार्कर
1.पाचन (digest) क्या है
2.अग्नाशय(pancreatic)
3.पित्तरस (Pitta Juice)
4.छोटी आंत से निकलने वाले एंजाइम
(Enzymes released from small intestine)
6 मार्कर
1.पाचन की प्रक्रिया के चरणों की व्याख्या कीजिए ?
1. Explain the steps of the process of digestion?
2.लीवर पाचन अंग होने के साथ-साथ उत्सर्जी भी है स्पष्ट कीजिए ?
With liver being a digestive organ, is excretion also clear ?
By-Pintu Rawat
शुक्रवार, 5 जून 2020
कब लगता है चंद्रग्रहण ?
सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है। यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों।
पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है।
जब हम इस स्थिति में धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है। इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
प्रश्न - सम्पदा योजना ,खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के सर्वागीण विकास में किस प्रकार सहयोग है ?(11/15 मार्कर)
भूमिक
खाद्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण क्षमताओं का निर्माण, मूल्य संवर्द्धन, खाद्यान अपव्यय में कमी के लिये प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाना तथा मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का आधुनिकीकरण एवं विस्तार करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ (Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana- PMKSY) प्रारंभ की है जिसके के तहत 32 नवीन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है इसलिए इसे “अम्ब्रेला योजना” भी कहते है
मुख्य बिंदु:
इन परियोजनाओं के तहत 17 राज्यों में लगभग 406 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
परियोजनाओं का उद्देश्य:
परियोजनाओं के तहत 15 हज़ार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गारों के सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि, कृषि उपज की शेल्फ-लाइफ (Shelf-Life) में वृद्धि के लिये आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों की शुरुआत, किसानों की आय में स्थिरता आदि की परिकल्पना की गई है।
योजना के प्रावधान:
PMKSY योजना को MoFPI मंत्रालय लागू कर रहा है जिसके कार्यान्वयन की अवधि वर्ष 2016-20 है तथा कुल परिव्यय राशि 6,000 करोड़ रुपए है।
इस योजना की सात घटक योजनाएँ हैं-
1. मेगा फूड पार्क
2. एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना
3. कृषि-प्रसंस्करण समूहों ( Agro-Processing Clusters) के लिये बुनियादी ढाँचा
4. बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का निर्माण
5. खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता का निर्माण / विस्तार
6. खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना
7. मानव संसाधन और संस्थान
खाद्यान प्रसंस्करण के सर्वागीण विकास में भूमिका
भारतीय किसानों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के उपभोक्ताओं से जोड़ने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों, सरकार एवं बेरोज़गार युवाओं के बीच कड़ी का कार्य कर भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर सकता है।
चीन के बाद भारत खाद्य पदार्थों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, साथ ही विशाल जनसंख्या तथा बढ़ती आर्थिक समृद्धि के कारण भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिये बड़ा बाज़ार उपलब्ध है।
सस्ते श्रम बल की उपस्थिति के कारण भी भारत में खाद्य प्रसंस्करण अपेक्षाकृत कम लागत पर किया जा सकता है। इससे वैश्विक व्यापार में भारत को लाभ प्राप्त हो सकता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के कार्यान्वयन से उत्पादों की आपूर्ति प्रबंधन को सुधारा जा सकता है और एक आधुनिक अवसंरचना का का विकास किया जा सकता है। यह देश में न केवल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये एक बेहतर प्रयास होगा बल्कि यह किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने मे भी सहायक होगा। साथ ही यह किसानों की आय को दुगुना करने की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
भारत में शैल गैस
शैल गैस
भारत विश्व के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ताओं में से है, परन्तु यह स्वयं पर्याप्त ऊर्जा संसाधनों से संपन्न नहीं है। आयातित ऊर्जा पर अत्यधिक निर्भरता देश की वित्तीय स्थिरता एवं ऊर्जा सुरक्षा को संकट में डालती है। इसलिए, शैल गैस निष्कर्षण में आमूल परिवर्तनों से कुछ सुधार हो सकता है
भारत में शेल गैस भंडार
संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण (United States Geological Survey) द्वारा किए गए अध्ययन में भारत के 26 में से 3 अवसादी बेसिनों में प्राप्य संसाधनों का अनुमान लगाया गया है। पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा भारत में शेल गैस के छह संभावित बेसिनों की पहचान की गयी है। ये निम्नलिखित हैं:
- असम-अराकान बेसिन
- गोंडवाना बेसिन (दामोदर घाटी)
- कृष्णा-गोदावरी बेसिन
- कावेरी बेसिन
- कैम्बे (खंभात) बेसिन
- इंडो-गंगेटिक बेसिन इन संसाधनों की और अधिक पहचान किये जाने एवं प्रमाणीकरण की संभावना है।
शेल गैस के निष्कर्षण संबंधी तकनीकी चुनौतियां
- क्षैतिज ड्रिलिंग: शेल चट्टानें कभी-कभी सतह से 3,000 मीटर नीचे पायी जाती हैं। इसलिए, गहरी ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग के पश्चात, गैस समृद्ध चट्टानों को निष्कर्षित करने के लिए विभिन्न दिशाओं में पर्याप्त दूरी तक क्षैतिज ड्रिल करने हेतु इस प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
- हाइड्रो फ्रैक्चरिंग की तकनीक: शेल के निष्कर्षण के लिए गैसयुक्त चट्टानों में दरारों के निर्माण के लिए उनमें अति उच्च तापमान पर जल और अन्य रसायनों को अंत:क्षेपित करने की आवश्यकता होती है। चट्टान को तोड़ने के लिए जल का उपयोग करने की प्रक्रिया को “हाइड्रो फ्रैक्चरिंग” या “फ़ैकिंग” कहा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए भारतीय कंपनियों के पास पर्याप्त संसाधनों और पूंजी का अभाव है।
- संसाधन मूल्यांकन: धन की कमी और अनाकर्षक सरकारी प्रोत्साहनों के कारण वास्तविक संभाव्यता का पता लगाना चुनौतीपूर्ण कार्य है।
उपर्युक्त तकनीकी चुनौतियों के अतिरिक्त, शेल गैस निष्कर्षण के लिए निम्नलिखित मुद्दों के समाधान की भी आवश्यकता होगी:
- विनियामकीय और पर्यावरणीय फ्रेमवर्क: शेल-गैस के उत्पादन के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जल संदूषित होता है।
- खुली भूमि की उपलब्धता: प्राकृतिक गैस की तुलना में, शेल गैस उत्पादन हेतु अन्वेषण और निष्कर्षण के लिए विशाल भू भाग की आवश्यकता होती है।
- जल की उपलब्धता: निष्कर्षण की प्रक्रिया में जल का भारी मात्रा में उपयोग, जल संकट का सामना कर रहे भारत के लिए एक चुनौती है।
- गैस की कीमतों को युक्ति संगत बनाना – यह निवेश और निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आवश्यक है। तेल एवं गैस उत्पादन में गतिहीनता और आयात पर बढ़ती निर्भरता के कारण, शेल गैस की संभावनाओं का दोहन करने के लिए उपर्युक्त चुनौतियों से निपटने का प्रयास करना एक सही कदम होगा। भारत सरकार द्वारा एकीकृत लाइसेंस प्रदान करने के लिए हाल ही में अपनायी गयी हाइड्रोकार्बन उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (HELP) 2016 और अन्य आकर्षक उपाय भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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